भोपाल। ट्रेन से गिरने पर मौत होती है और अगर रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (आरसीटी) में दावा किया जाए तो आवेदक को चार लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। वहीं घायल होने पर मामले की गंभीरता के आधार पर अधिकतम दो लाख रुपए का हर्जाना मिल सकता है लेकिन ट्रिब्यूनल ने हाल में एक एेसा फैसला सुनाया, जिसमें घायल रितेश प्रजापति को रेलवे से चार लाख रुपए का हर्जाना दिलाया।
रितेश के वकील महावीर भटनागर के मुताबिक ट्रेन दुर्घटना के बाद रितेश की जान तो बच गई लेकिन रीढ़ की हड्डी टूट गई। इसके कारण वह चल-फिर नहीं सकत और न ही कोई काम कर सकता है। एेसे में हमने आरसीटी में दावा दाखिल करके रेलवे से हर्जाने की मांग की थी। इस मामले में आरसीटी भोपाल बेंच के ज्यूडीशियल मेंबर मदन मोहन पारिख व टेक्निकल मेंबर रश्मि कपूर ने फैसला सुनाते हुए रेलवे द्वारा आवेदक को चार लाख रुपए बतौर हर्जाना चुकाने को कहा है। वहीं रेलवे को छह प्रतिशत सालाना दर से पांच साल का ब्याज भी आवेदक को चुकाना होगा।
एडवोकेट भटनागर ने बताया कि 29 सितंबर 2011 को उज्जैन निवासी रितेश प्रजापति रतलाम से उज्जैन आ रहा था। रितेश पैसेंजर ट्रेन में अपनी पत्नी, बेटे और भाई के साथ था, ट्रेन में काफी भीड़ थी, नागदा के पास ट्रेन में जर्क लगने से रितेश ट्रेन से गिर पड़ा। जीआरपी ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया, बाद में परिजनों ने बेहतर इलाज के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। यहां करीब एक महीने तक उसका ट्रीटमेंट चला। हादसे के कारण उसकी स्पाइनल कॉड फ्रैक्चर हो गई थी।
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